Yield

                       उपज (Yield)

 - इकाई क्षेत्र से प्राप्त फसल के कुल उत्पादन का भार या फसलों के किसी अंग का भार उपज कहलाता है।

           अधिकतम उपज (Potential Yield)


पौधे की अधिकतम उपज वह होती है जब पौधा अपनी आनुवांशिक संरचना के अनुसार उस समय आता है जब उपज में वृद्धि करने वाले जलवायु एवं मृदीय तथा प्रबन्ध सम्बन्धी कारक इष्टतम अनुपात व
इष्टतम मात्रा में उपस्थित होते हैं। पौधे की उपज को बढ़ाने वाले सभी कारकों में यदि केवल एक ही उपस्थिति नहीं है तो यही कारक पौधों की वृद्धि एवं उपज के लिये सीमाकारी (Limiting Factor) बन जाता है। कारक की पूर्ति होने पर उपज में वृद्धि हो जाती है।

      कृषि फसलों की उपज दो प्रकार की होती है


 (i) आर्थिक उपज (Economical Yield)–

आर्थिक उपज किसी आर्थिक उत्पादन का भार है जो उसके विशेष अंग या रासायनिक अवयव हो सकते हैं। जैसे रेशे वाली फसलों में रेशे का भार, अन्न वाली
फसलों में अन्न का भार, शर्करा वाली फसलों में चीनी का भार, तेल वाली फसलों में तेल का भार व आलू की फसलों में कन्दों (Tuber) का भार आदि।।

(ii) दैहिक क्रियात्मक या जैविक उपज (Physiological or Biological Yield)

 किसी इकाई क्षेत्र में पौधे की कटाई के समय पौधों के शुष्क भार को दैहिक क्रियात्मक उपज कहते हैं। कुल दैहिक
क्रियात्मक उपज, एक पौधे के औसत शुष्क भार x इकाई क्षेत्र में पौधों की संख्या के बराबर होती है।


Economical yield refers to weight of the economical product that is a particular tissue, organ or chemical constituent that has an economical value such as, grain, sugar, oil and fibres etc.


 Physiological yield is the production of dry matter by plant at the time of harvest, multiplied by the number of plants in an unit area.

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