Cultivation of Mint, पुदीने की खेती
पुदीना की खेती
BOTANICAL NAME- Mentha Piperita
FAMILY- Laviate
2N - 24
पुदीना में पाए जाने वाले पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम खाने योग्य भाग) -
नमी -84.9 ग्राम
प्रोटीन - 4.8 ग्राम
वसा - 0.5 ग्राम
खनिज लवण-1.9 ग्राम
रेसा - 2.0 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट - 5.8 ग्राम
ऊर्जा - 48 किलो कैलोरी
कैल्सियम - 200 मिली ग्राम
फॉस्फोरस - 62 मिली ग्राम
आयरन - 15.6 मिली ग्राम
कैरोटीन - 1620 माइक्रो ग्राम
जलवायु-
पुदीना उष्ण तथा उपउष्ण जलवायु का पौधा है। जहां जाड़े हल्के तथा ग्रीष्म ऋतु गर्म हो वहां इसकी फसल आसानी से हो जाती है। इसके लिये बरसात का मौसम अच्छा नही माना जाता है , क्योंकि इस मौसम में इसकी पत्तियां पीली पड़ जाती है।
भूमि तथा भूमि की तैयारी -
पुदीना किसी भी प्रकार की भूमि में उग जाता जाता है , लेकिन इसके लिये बलुई या दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है।
भूमि की तैयारी के लिये 3-4 बार जुताई कर देनी चाहिए जिससे मिट्टी भुर भूरी हो जाय। मिट्टी में जीवांश पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। सिंचाई की सुविधा के लिए नालियां बना लेनी चाहिए । 4.0×4.0 की नालियां बननी चाहिए।
पोषण -
गोबर की खाद- 20-30टन / प्रति हेक्टेयर
नाइट्रोजन- 120-130 किलोग्राम / प्रति हेक्टेयर
फॉस्फोरस- 50-100 किलोग्राम / प्रति हेक्टेयर
पोटाश- 40-50 किलोग्राम / प्रति हेक्टेयर
रोपड़ का समय -
मैदानों में - जनवरी - फरवरी
पहाड़ों में - मार्च
सिंचाई -
पौधे लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसके पश्चात 8 - 15 दिनों के अंतराल में सिचाई करनी चाहिए । गर्मी के मौसम में लगातार हल्की सिंचाई करनी चाहिए ।
कटाई -
पौधे लगाने के 2-3 सप्ताह के पश्चात पत्तियों की तुड़ाई करनी चाहिए।
उपज -
3.0-4.0 टन हरी पत्तियों की उपज प्राप्त होती है।
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